सूर्य रेखा को भी भाग्य रेखा की श्रेणी में ही गिना जाता है कभी-कभी हाथ में भाग्य रेखा नहीं होती उसे स्थिति में जहां से सूर्य रेखा प्रारंभ होती है वहां से उतरकर एक रेखा जीवन रेखा से मिलने का प्रयास करती है इसका मतलब स्पष्ट है कि व्यक्ति ने अपने कर्मों द्वारा या अपनी मेहनत द्वारा खुद के भाग्य को चमकाया है सूर्य रेखा सहायक रेखा के रूप में गिनी जाती है कभी-कभी हाथ में जब सूर्य रेखा भी नहीं होती और उसे स्थिति में अनामिका पर अगर चक्र आ जाए तो यह स्थिति दुखद होती है इसका मतलब है कि भाग्य से आपको जो मिला वही आपके पास रहेगा आपके कर्म द्वारा अर्जित संपत्ति नहीं आ पाएगी जैसे भाग्य से बहुत सारी जमीन मिली है अब आप उसे जमीन में किसी को किराया देकर आए अर्जित कर सकते हैं लेकिन अपने द्वारा आप स्वयं को ही संपत्ति नहीं खरीद पाएंगे